Saturday, August 31, 2013

मोहनजी और बिल्लूजी


हूड़ीबाबा चूहा बिल्ली जिसको समछ् रखा था वह तो शेर निक्ला रे।मोहन  गरज उठा। लेकिन जो चेहरे पे थोडा सा स्पेस अवेलेबल था उसपे इमोशन  की कमी नज़र ज़रूर आयी। अंडर वियर हैं, इलास्टिक नहीं ये मैं समछ सकता हूँ पर पंजाबी हैं इमोशन नहीं। …वह तो नामुमकिन।  माडम जी थोड़ी सी डर गयी  लेकिन जल्दी से अपना कोम्पोषर वापस पायी और गाने लगी  "तेरे होठों को जल्दी से यार चिपका ले ज़रा फेविकोल से"
उस रात मोहन बिलकुल नहीं सो पाया . कुछ  तो करना है। किस्से पूछू ,मैडम जी तो नाराज़ है। अंटनी तो मुझ से भी बेकार है ;ज्यादा कुछ बोला तो इस्तीफा दे के भागेगा साला। ऐसे माहोल  में मोहनजी को हमेशा एक ही नाम याद आते हैं। …बिल्लू।    बिल्लू दी जीनियस    तीन चार क्लास एक साथ पढ़े थे। । गरजे थे एक साथ a फॉर अंडरवियर b फॉर बकवास। ……. अब कहाँ होंगे वह . फ़ोन तो लगाके देखें। ।
फोन बजने लगा। साला सोते होंगे। फोन उठा तो बहने लगी गालियाँ। "अरे गा****,मा ******* रात को सोने भी नहीं देंगे क्या?"
वाह बिल्लू की सुरीली आवाज़। कितने  दिन हुए कड़क सी एक देसी गाली सुनके। इटालियन गालियों में इतना दम बिलकुल नहीं हैं।
"अरे बिल्लू  मोहन हूँ "
"कैसे हो बे ?"
"तुम कैसे हो ?"
"ऐसे ही सभी के गा*** मा*** खूमता फिरता हूँ। आवारा फिज़ा ,इन्डियन रोकेट जैसे"
"आय रे कितने खुशनसीब हो तुम। मेरा तो गा *** पे आग लग गया हैं यार।
"सुना हैं की सब लोग हज़ार की नोट से गा**** पोछते हैं ,सच हैं क्या ?"
"मुझे क्या पता ,चार दिन हुए मुझे वोह सब करके। "
"अपने चम्बल के 100 ड़ाकुओं को भेजू क्या?"
"क्या बख्वास बिल्लू। उससे तो दसगुना बढ़िया चोर बैठे हैं इथर। उन लोगों की बैंड बजेंगे।
"तो एक ग्रेट आईडिया हैं तूने सीरिया के बारे मैं सुना। मैं तुमको गोबर से बना केमिकल बम भेज दूंगा और तू एक काम कर दो चार दिनों के लिए सिर्फ आलू ही खाया कर। और डालो बम संसद में। सब चोर मर जायेंगे। देस के लिए फायदा भी होंगे और तुम चैन से सो भी पायेंगे। इसके बारे में ,वह कामचोर हैं ना ओबामा ,उसको पता चलेगा तो वह अपने आर्मी को सीथा इथर भेजेंगे। तुम उसे बात करके  डील पक्का करना और बेच देना देस को. किसीको पता भी नहीं चलेगा। और जब वोह राज करना शुरू करे तो भूख  हडताल शुरू करना। अपने गांधी जैसे।इसे तू मर सकता हैं पर जब देस को जब स्वतंत्रता दोबारा मिलेगा तो तुम्हारा फोटो छापेगा इंडियन डॉलर पर। कैसे रहा मेरा आईडिया ?"
मोहन को नहीं था पता की रोऊ ,हसू या गाली दू।

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