दर्देदिल को दबा नहीं पाया
अधूरी ये धड़कन अधूरी ये सांसें
तन्हाई में डूबी अँधेरी रातें
आँखें नमी हैं यादें नमी हैं
महसूस होता हैं तेरी कमी हैं
मायूस और खामोश हैं अब माहोल
बदल पायेगा, सिर्फ तेरी हंसी अनमोल
चाँद मागधं तारे भी गुमसुम
घुट जाए दम बिन तेरे हरदम
पवन की सुरीली आवाज़ नहीं हैं
बारिश भी बादल के सीने में दबी हैं
रातों में प्यारे ग़ज़ल जो गाये
गायक भी नजाने आज क्यों चुप हैं
गहरा हैं ज़ख्म तन्हाई ने दिया
तेरे प्यार ही इसका इलाज हैं पिया
पंखों की हैं मुझे ज़रुरत
आने को तेरे नस्दीक इसी वक़्त
(अलोक गुप्त )
तेरे प्यार ही इसका इलाज हैं पिया
पंखों की हैं मुझे ज़रुरत
आने को तेरे नस्दीक इसी वक़्त
(अलोक गुप्त )
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