Saturday, November 28, 2009

बातें दिल की 4

खो गया हूँ मैं तेरी यादों मैं
खो दिया खुद को तेरी आँखों मैं
खोया हैं मेरे दिल जान चैन और नींद
पर पा लिया सब कुछ तेरे प्यार मैं

मासूम सी तेरी ये  हँसी
सूरज की पहली किरण हैं जैसी
भर जाती हैं दिल में  मायूसी
जब तुम नहीं हो मेरे पास ही

दिल मैं जो उठी चाहत की लहरें
ठूण्डते हैं साहिल तेरे प्यार मैं
लेटा हूँ मैं खुले आसमान के नीचे
इंतज़ार तेरी आहट की हैं मुझे

हँसते हैं मुझपे चाँद और तारे
और पवन ,जो लहराए सुल्फें ये तेरे
इन सबों से सिफारिश हैं मेरे
जा और लेके आ उसको पास मेरे
(अलोक गुप्त )

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