Saturday, September 26, 2009

बातें दिल की

दिल की जुबान हैं खामोशी
छाई हैं मुझपे मदहोशी
तुम ही बोलो मैं क्या करुँ
प्यार करुँ या मरूं

रंग तू ने कितने दिखाए
चेहरे पे हमेशा मुस्कान जगाये
अधूरा सा लगता हैं हर पल
बिना तेरे याद के सूना हैं ये दिल

जादू तू ने कैसा चलाया
सुंदर सा एक सपना दिखाया
सोना भी मुश्किल जागना भी मुश्किल
ढूँढता हैं तुझको हरपल ये दिल


अलोक गुप्त